Wednesday, December 30, 2009

तुम्हारा एहसास


कहने को तुम मेरे पास बैठी हो ,
पर तुम्हारा एहसास पल् पल्
मेरे अंदर दम तोड़ रहा है ,
एक दुसरे पर था जो हमें ,
वो विशवास अब साथ छोड़ रहा है ,
गलत फ़हमी हमारे दरम्यान
गहरी खाई खोद रही है ,
तुम्हारी बेरुखी हमारे दिलों के दरम्यान
मीलों की दूरी पैदा कर रही है ,
कहने को तुम मेरे पास बैठी हो,
पर तुम्हारा एहसास पल् पल्
मेरे अंदर दम तोड़ रहा है,
तुम्हे मिलने की चाहत दिल के
किस्सी कोने में दुबक रही है ,
रह रह जो आती थी तेरी याद ,
कहीं छुप कर बैठी सुबक रही है
कहने को तुम मेरे पास बैठी हो ,
पर तुम्हारा एहसास पल् पल् ,
मेरे अंदर दम तोड़ रहा है ,
नज़रों से नज़र मिला कर एक बार ,
कह दो सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा ,
आँखों से निकला एक एक आंसू ,
सब गिले शिकवों को धो जाएगा ,
तुम्हारी कसम तुम्हारा एहसास ,
मेरे अंदर कभी दम नहीं तोड़ेगा ।

2 comments:

  1. ..wow b'ful i was desperately waiting for this one..picture is really beautiful n ya thank you for give me poem that honors of translating them into your words..

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  2. Dear Vidisha,
    I am inspired with your beautiful comments..
    thanx

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