Thursday, November 26, 2009

नादान दिल

छोड़ मेरे नादान दिल अब,

फिर हो के आबाद क्या करना हैं,

जिसने भुला दिया है तुझको,

उसी को याद क्या करना है,

जो कल नही आई, आज भी नही आएगी,

झूठे वादों का ऐतबार क्या करना है,

ढूंढ लिया है मीत नया उसने,

अब तेर प्यार क्या करना है,

फेर ली है निगाहें तो उसके लिए,

एक आंसू भी बरबाद क्या करना है,

नहीं उसे तुझ से प्यार तो छोड़,

बार बार फ़रियाद क्या करना है।

Thursday, November 19, 2009

बुझ गया है दीप



बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ,

सिसकिआं बीता समय लेता ही रहेगा,

धमकिया संसार सदा देता ही रहेगा,

स्नेह की बूँदें ज़रा इस पर गिराओ,

बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ,

पग तिमिर को भेद बढ़ता ही रहेगा,

प्रलय की आंधी से लड़ता ही रहेगा,

व्यथित मन को ज़रा ढाढस बंधाओ,

बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ,

आंखों में पानी तो आता ही रहेगा,

हार मोतियों का सजाता ही रहेगा,

मूर्ति बन जाओ, हृदय मन्दिर सजाओ,

बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ।

Wednesday, November 18, 2009

टूटता दिल




डूबती कश्ती को एक तिनके का सहारा काफी नहीं ,

टूटते दिल को तेरी इक याद का सहारा काफी नहीं,

एक तरफ़ा प्यार कभी परवान नहीं चढ़ा करता ,

दरया-ऐ-इश्क को एक किनारे का सहारा काफी नहीं,

तुम रहने देना मैं अपनी लाश ख़ुद ही जला लूँगा ,

मेरे जीने के लिए तेरे झूठे वादे का सहारा काफी नहीं ।

Saturday, November 7, 2009

वफ़ा मर गई है



तुमने मुझे बुलाया तो होता,

सुना है तुम्हारी वफ़ा मर गई है,

न मातम किया, न आँसू बहाए

न अर्थी सजायी, हमदम बुलाये ,

न नहलाया , न कफ़न पहनाया,

न दुशाला चढाया , न कन्धा लगाया ,

तुमने मुझे बुलाया तो होता ,

सुना है तुम्हारी वफ़ा मर गई है,

न चिता बनाई , न अग्नि दिखाई ,

न चौथा किया , न अस्तिआं बहाई ,

न पंडित बुलाया , न किर्या कराई।

तुमने मुझे बुलाया तो होता ,

सुना है तुम्हारी वफ़ा मुझे मालूम है

मुझे मालूम है तुमने क्या किया है ,

अपनी वफ़ा को दिल में ही दफना दिया है,

इक दिन देखना इक धुंआ सा उठेगा,

तुम्हारे दिल में मेरा प्यार फिर जी उठेगा

तुमने मुझे बुलाया तो होता,

सुना है तुम्हारी वफ़ा मर गई है