Thursday, November 19, 2009

बुझ गया है दीप



बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ,

सिसकिआं बीता समय लेता ही रहेगा,

धमकिया संसार सदा देता ही रहेगा,

स्नेह की बूँदें ज़रा इस पर गिराओ,

बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ,

पग तिमिर को भेद बढ़ता ही रहेगा,

प्रलय की आंधी से लड़ता ही रहेगा,

व्यथित मन को ज़रा ढाढस बंधाओ,

बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ,

आंखों में पानी तो आता ही रहेगा,

हार मोतियों का सजाता ही रहेगा,

मूर्ति बन जाओ, हृदय मन्दिर सजाओ,

बुझ गया है दीप अब दिल को जलाओ।

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