Friday, July 24, 2009

ले दूँ तुम्हारा नाम ?










पूछे कोई की वो
कौन है, जिसे मैं
बार बार याद करता हूँ ,
पूछे कोई की वो
कौन है , जिसका ख्याल
मेरे होटों पे मुस्कराहट छोड़ जाता है,
पूछे कोई की वो
कौन है, जिसकी तस्वीर
मैं आँखें मूंद कर देखता हूँ,
पूछे कोई की वो
कौन है, जिसका
मुझे इंतज़ार रहता है,

तुम ही कहो अब,
ले दूँ तुम्हारा नाम, या
चुप रहूँ अभी ,
और अगर किसी दिन,
खोल दिया राज़ नज़रों ने
तो क्या होगा?


Wednesday, July 22, 2009

अब लौट के आ जाओ


तुम क्या गई की पीछे पीछे ,
मेरी हँसी भी चल पड़ी ,
और कुछ दिन जब , मेरी हँसी
घर ना लौटी तो, उसे ढूँढने
मेरी मुस्कराहट भी चल पड़ी ,
तुम क्या गई की पीछे पीछे,
मेरे अल्फाज़ भी चल पड़े , और
कुछ दिन जब मेरे अल्फाज़ भी
घर ना लौटे तो, उन्हें ढूँढने
मेरी आवाज़ चल पड़ी,
सदीआं बीत गई हैं ,
ना तुम लौटी हो,
न मेरी हँसी ही लौटी है,
मुस्कराहट का भी कोई पता नही,
इतना शुक्र है
तुम्हारी ताज़ा यादों का,
मेरी आवाज़ लौट आई है,
मेरे अल्फाज़ भी लौट आए हैं ,
ताकि जो भी मिले,
उस से पूछूं तुम्हारा पता ,
फिर ढूंढूं तुम्हें,
हर गली में, हर मोढ़ पर,
जानाता हूँ की तुम लौट आओगी तो,
लौट आएगी मेरी हँसी,
और लौट आएगी मेरी मुस्कराहट भी,
ना जाने कितने दिन ये आँखें तरसेंगी,
और ना जाने,
कितने दिन ये आँखें बरसेंगी,
अब लौट के आ जाओ ,
लौट के आ भी जाओ.


Thursday, July 2, 2009

मिलन रेल की पत्त्रिओं का


रेल का सफर जब
अपने मुकाम पर पहुँचा तो
मैं रेल की दोनों पत्त्रिओं
के बीचों बीच आ गया ,
कुछ देर चलता रहा , चलता रहा
फिर गौर से देखा मैंने ,
वो दूर ........ बहुत दूर
जहाँ आसमान धरती से मिल रहा है
वहीं जहाँ दोनों दिशाएँ भी
आपस में मिल रही हैं ,
वहीं पर दोनों
रेल की पत्रिआं भी तो मिल रही हैं।


तुम भी पास आओ और देखो ,
बस यहीं से देखना
रेल की दोनों पत्त्रिओं का मिलन ।