तुम क्या गई की पीछे पीछे ,
मेरी हँसी भी चल पड़ी ,
और कुछ दिन जब , मेरी हँसी
घर ना लौटी तो, उसे ढूँढने
मेरी मुस्कराहट भी चल पड़ी ,
मेरी हँसी भी चल पड़ी ,
और कुछ दिन जब , मेरी हँसी
घर ना लौटी तो, उसे ढूँढने
मेरी मुस्कराहट भी चल पड़ी ,
तुम क्या गई की पीछे पीछे,
मेरे अल्फाज़ भी चल पड़े , और
कुछ दिन जब मेरे अल्फाज़ भी
घर ना लौटे तो, उन्हें ढूँढने
मेरी आवाज़ चल पड़ी,
मेरे अल्फाज़ भी चल पड़े , और
कुछ दिन जब मेरे अल्फाज़ भी
घर ना लौटे तो, उन्हें ढूँढने
मेरी आवाज़ चल पड़ी,
सदीआं बीत गई हैं ,
ना तुम लौटी हो,
न मेरी हँसी ही लौटी है,
मुस्कराहट का भी कोई पता नही,
ना तुम लौटी हो,
न मेरी हँसी ही लौटी है,
मुस्कराहट का भी कोई पता नही,
इतना शुक्र है
तुम्हारी ताज़ा यादों का,
मेरी आवाज़ लौट आई है,
मेरे अल्फाज़ भी लौट आए हैं ,
ताकि जो भी मिले,
उस से पूछूं तुम्हारा पता ,
तुम्हारी ताज़ा यादों का,
मेरी आवाज़ लौट आई है,
मेरे अल्फाज़ भी लौट आए हैं ,
ताकि जो भी मिले,
उस से पूछूं तुम्हारा पता ,
फिर ढूंढूं तुम्हें,
हर गली में, हर मोढ़ पर,
जानाता हूँ की तुम लौट आओगी तो,
लौट आएगी मेरी हँसी,
और लौट आएगी मेरी मुस्कराहट भी,
ना जाने कितने दिन ये आँखें तरसेंगी,
और ना जाने,
हर गली में, हर मोढ़ पर,
जानाता हूँ की तुम लौट आओगी तो,
लौट आएगी मेरी हँसी,
और लौट आएगी मेरी मुस्कराहट भी,
ना जाने कितने दिन ये आँखें तरसेंगी,
और ना जाने,
कितने दिन ये आँखें बरसेंगी,
अब लौट के आ जाओ ,
लौट के आ भी जाओ.
अब लौट के आ जाओ ,
लौट के आ भी जाओ.
....beautiful sir...bahut pyaara likha hai..!!!!...no words..!!!
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ReplyDeletesai ram ji
ReplyDeletehmm lucky one for whom u have written this poem...
Tumhari raah mein mitti ke ghar naheen aate
ReplyDeleteIsi liye to tumhein hum nazar naheen aate
Muhabbaton ke dinon ki yahi kharabi hai
Jo beet jaayen to fir laut kar naheen aate
Waseem Barelvi
aji humein to poora yakeen hai itna pyaar koi de to koi kaise na laut aaey
ReplyDeletemeri subh kamanaein sada kush raho
bahut pyaar bhara hai
kahaanse lae ho ji