
तुम तब भी चली गई थी मुझे तनहा छोड़ कर ,
और कई दिनों तक बेचैन कर गई थी,
यूँ लगता था की सदीआं बीत गई है,
वक्त थम गया है, साँसें रुक गई हैं ,
तुम आज भी जा रही हो मुझे तनहा छोड़ कर ,
और ये भी जानती हो की तुम्हारे बिना ,
इक पल् भी नहीं काटना चैन से,
दिन ढलता नहीं रात गुज़रती नहीं ,
तुम्हारी राह देख देख नज़रें थकती नहीं,
जानता हूँ की तुम पास नहीं हो फिर भी ,
नज़रें हर दम बस तुम्हे ही ढूंढती हैं,
हर वक्त बस तुम्हारी कमी खलती है ,
इक टूटी हुई आस के सहारे साँस चलती है ,
जाने कब समझोगी तुम दर्द मेरा,
आ जाओ, तुम लौट के फिर आ जाओ,
देख लेना इस बार लौट के आओगी तो,
थाम लूँगा तुम्हे अपने आलिंगन में,
बाँध लूँगा तुम्हें प्यार के बंधन से,
और तुम्हें फिर कहीं जाने नहीं दूँगा ।