Tuesday, September 29, 2009

बाँध लूँगा तुम्हे



तुम तब भी चली गई थी मुझे तनहा छोड़ कर ,

और कई दिनों तक बेचैन कर गई थी,

यूँ लगता था की सदीआं बीत गई है,

वक्त थम गया है, साँसें रुक गई हैं ,

तुम आज भी जा रही हो मुझे तनहा छोड़ कर ,

और ये भी जानती हो की तुम्हारे बिना ,

इक पल् भी नहीं काटना चैन से,

दिन ढलता नहीं रात गुज़रती नहीं ,

तुम्हारी राह देख देख नज़रें थकती नहीं,

जानता हूँ की तुम पास नहीं हो फिर भी ,

नज़रें हर दम बस तुम्हे ही ढूंढती हैं,

हर वक्त बस तुम्हारी कमी खलती है ,

इक टूटी हुई आस के सहारे साँस चलती है ,

जाने कब समझोगी तुम दर्द मेरा,

आ जाओ, तुम लौट के फिर आ जाओ,

देख लेना इस बार लौट के आओगी तो,

थाम लूँगा तुम्हे अपने आलिंगन में,

बाँध लूँगा तुम्हें प्यार के बंधन से,

और तुम्हें फिर कहीं जाने नहीं दूँगा ।

3 comments:

  1. wow so sweet n yet painful ...I can sense tht pain of seperation...!!!

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  2. mujhe to apna bichurna yaad ata hai yeh sab padh kar
    mein behan hoon par kayoon lagta hai ki jaise koi mujhe yaad kar raha hai
    shayad dil yahi chahta hai
    aur manan bhi chahta hai

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