Saturday, October 10, 2009

प्यार का फूल है



खता करे गर कोई तो, सज़ा मिलना उसूल है ,

मेरी खता की कोई सज़ा दो , मुझे कबूल है,

तुम न बुलाओगी तो, बोलूँगा मैं तुमसे,

ऐसा सोचती हो अगर, ये तुम्हारी भूल है,

कुछ तल्खिओं से प्यार मैला नहीं होता,

पोंछ दो ख्यालों से, ये बस वक्त की धूल है ,

सींचो तुम इसे अपनी मुस्कराहट से तो ये ,

फिर खिल उठेगा, ये प्यार का फूल है ।



3 comments:

  1. hmmmmmm...kya baat hain aapke writings main to jayada wajan aa gaya hai....bahut khoob..:)

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  2. are waah marshal sahib kaya khoob likne lage ho
    likh to pehle se hi sakte the par shayad kosish hi nahi ki ya yoon kahoon koi chhodh kar nahigaya yoon jsisi koi chala gaya hai ab

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